गुरुवार, 30 जुलाई 2009


सौ सवा सौ से ज्यादा चैनल, चौबीस घंटे चलने वाला प्रसारण, रोज अपनी जिन्दगी से कुछ नया सीखने वाले मीडियाकर्मी, और करोड़ों की संख्या में अपने घर पर टीवी के सामने बैठे लोग..... यहीं से शुरू होता है ख़बरों की दुनिया का कारवां। हम भी एक न्यूज चैनल में काम करते हैं, ख़बरों की हमारी ज़िन्दगी में अहम जगह है। हर रोज हम कुछ ऐसी चीजों से रू-ब-रू होते हैं जो ज़हन मे कई सवाल छोड़ जाती है, कुछ के जवाब मिलते है और कुछ सवाल हर रात हमारे जहन में ही सो जाते है । उन्ही के जवाब ढूंढ़ने के लिए शुरू हुआ हमारा ये सफर जहां से आगे बढ़ते हुए हमने मीडिया के कई दिग्गजो को पढ़ा कई मैग्जीन और अख़बारों का सहारा लिया..मगर फिर भी दिल के दरवाजे पर सवाल लगातार दस्तक देते रहे। हर जगह कुछ न कुछ अलग था मगर एक चीज़ कॉमन थी, वो सभी मानते हैं कि मीडिया एक अनिवार्य बुराई है... हम आज भी नहीं समझ सके कि.. बीस हजार करोड़ रुपये का विज्ञापन उद्योग, साठ हजार करोड़ का मनोरंजन उद्योग, दस अरब रूपय से ज्यादा का टीवी उद्योग, वाली मीडिया की इस दुनिया में अच्छाई की कोई जगह नहीं, वो मीडिया जो देश की सरकारों को चलाता-बिठाता, गिराता-बनाता है, वह जो आम आदमी का एजेंडा और जीवनशैली तय करता है, वह जो नई पीढी का माता-पिता और गुरू है, जो आम आदमी की आवाज है और जो समाज की बुराई को हटाने वाला समाज सेवी है वो सिर्फ एक अनिवार्य बुराई है...क्या इसका कोई दूसरा पहलू नहीं है, इस बार जवाब खुद से मिला कि अगर ये एक अनिवार्य बुराई है, तो अनिवार्य अच्छाई भी है ।मीडिया के बिना भारत का चेहरा खूहबसूरत नहीं लग सकता। मगर वहीं दूसरी तरफ पत्रकारिता की आवाज को बुलंद करने वाले दिग्गज ही कहते नज़र आते हैं, ' भईया अब तो बस पैसा कमाना ही हमारा काम रह गया है पत्रकारिता तो बस नाम की करते हैं।' तो बताइए उन्हे क्या करना चाहिए जो आज भी इस क्षेत्र में अपने भविष्य को सवारना चाहते हैं या फिर जिन्होने अभी-अभी अपना करियर शुरू किया है। हम सोचते है इंसान को मारने की वजाय उसके सपनों को मारना ज्यादा दर्द देता है। ऐसे बहुत सारे सवाल हमें दिन रात परेशान करते हैं क्या हम इसकी दूसरी तस्वीर को देखने की कोशिश नहीं कर सकते। परिस्थति में ढ़लने से बेहतर नहीं होगा तस्वीर में कुछ और रंग भरे जाए बस इतना समझने की कोशिश कर ही रहे थे की इसी दौरान पत्रकारिता के एक महान नामी पत्रकार ने एक बहुत ही जानी-मानी न्यूज साईट पर लिखा "गलती हर किसी से होती है पत्रकारों से भी हो जाती है मगर इसका मतलब ये नहीं की हमे मीडिया की सीमा निर्धारित कर देनी चाहिए" उस दिन पहला सवाल सामने आकर आंखे दिखाने लगा कि क्या हम किसी गलत जगह आ गए हैं हमें समझ नहीं आया कि वो किसकी गलती की वकालत कर रहें है उन पत्रकारों की जिनकी एक-एक बात लोगों पर गहराई से असर करती है क्या उनको नहीं पता न्यूज़ चैनल पर चलने वाली एक-एक ख़बर का असर इतना भी हो सकता है कि लोग अपनी जान भी दे देते हैं..मान्यवर ये एक ऐसी जगह है जहां गलतियों की कोई गुंजाईश नहीं हैं..वो कहते है कि आज अगर नज़रें दौड़ाओं तो न्यूज़ रूम में कोई पत्रकार नहीं नज़र आता..यहां तो बस लगता हैं ख़बरों का बाजार और काम करने वाले लोग हैं व्यापारी, जो चंद कागज के टुकड़ों के लिए ख़बरों को बेच देते हैं...इनका ये चेहरा कौन दिखाएगा..और गलती से मीडिया की हस्ती को, किसी मंच पर अपना भाषण देने को मिल जाए तो अंदर की आग को ऐसे उगलेंगे मानो बस इन्हें मौका नहीं मिला, नहीं तो पूरी दुनिया को ठीक कर देते..हमें समझ नहीं आता कि कहने वाले ये क्यों भूल जाते है कि वो भी इन व्यापारियों की जमात में शामिल हैं, आखिर क्यों सब सिर्फ समस्याओं की बात करता है ? हम इन सारी बातों को सिर्फ समझते ही नहीं बल्कि इन्हीं के साथ जीते हैं। हम तो बस इतना जानते है कि किसी भी देश में दो तरह के गद्दार होते हैं पहला-जो खुद अपनी मां को बेचता हैं दूसरा- जो अपनी आंखों के सामने अपनी मां को बिकते देखता हैं। दूसरे वाले ज्यादा ख़तरनाक है क्योंकि वो 'कायर' गद्दार हैं। संसद में विश्वासमत पारित होने के समय सारे नेता अपनी मां को बेच रहे थे और मीडिया अलग-अलग अंदाज में दिखा रहा था। आगे कुछ नहीं कहेंगे आप खुद समझदार हैं। हम मीडिया की अच्छाई या बुराई पर बहस नहीं कर रहे हैं, और कर भी नहीं सकते, अभी तो हमारे सफर की शुरूआत है वो कहते हैं न कि 'थोड़े कच्चे हैं' हम तो आप सबकी मदद चाहते है ताकि इस दुनिया में रहने के बाद भी जिन सवालों के जवाब आज तक नहीं मिले वो शायद मिल जाए हम मीडिया के उन्ही दिग्गजों से जानना चाहते है कि आखिर हम क्या करें..?
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2 टिप्‍पणियां:

  1. नेशनल खिलाड़ी बनी कॉल गर्ल
    रायपुर. राजधानी में देहव्यापार के आरोप में पकड़ी गई मुंबई की बाला निशा शेट्टी एथलेटिक्स और वालीबाल की नेशनल खिलाड़ी निकली। वह असम टीम से कई प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुकी है। अपनी प्रतिभा के दम पर नौकरी हासिल करने में नाकामी और पति की मौत से टूट चुकी निशा ने साल भर पहले जिस्मफरोशी के दलदल में खुद को धकेल दिया। गौरतलब है, देवेंद्रनगर इलाके में दलाल नामदेव के बुलावे पर निशा एक और लड़की के साथ मुंबई से यहां पैकेज पर आई थी।
    कल पूछताछ में उसने खुद को मुंबई निवासी बताया। वह नेशनल खिलाड़ी है, इसकी जानकारी नहीं दी। बाद में विस्तृत पूछताछ में उसने जो खुलासा किया वह चौकाने वाला है। निशा मूलत: असम की रहने वाली है। उसने राष्ट्रीय स्तर पर खेलते हुए स्टेट की झोली में कई मेडल डाले थे। कुछ अरसे पहले पुणो में नेशनल खेलते हुए उसने हाई जंप में सिल्वर हासिल किया था। आठ साल पहले असम की टीम में खेलते हुए ही वह फुटबाल के नेशनल प्लेयर रायबहादुर के करीब आई।
    दोनों ने शादी भी कर ली, लेकिन बेरोजगारी की वजह से गृहस्थी चलाना मुश्किल हो गया। बकौल निशा उसके पति ने रेलवे में नौकरी के लिए कई बार आवेदन दिया। नेशनल खिलाड़ी होने के नाते उन्हें नौकरी मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जब कोई और रास्ता नजर नहीं आया तब उसके पति ने शराब पीना शुरू कर दिया। निशा के मना करने का भी कोई असर नहीं हुआ। दिन ब दिन उनकी सेहत गिरती चली गई और डेढ़-दो साल पहले उनका निधन हो गया।
    निशा को पति की मौत ने झकझोर कर रख दिया। पति के जाने के बाद अपने एक बच्चे को लेकर वह मायके और ससुराल के बीच भटकती रही। उसने भी सरकारी नौकरी की तलाश की, लेकिन बात आवेदन से आगे नहीं बढ़ी। आखिरकार उसने मूल निवास छोड़ने का मन बना लिया और बच्चे को लेकर मुंबई के अंधेरी में रहने वाली अपनी सहेली के पास आ गई। यही उसने पेट की खातिर जिस्मफरोशी का धंधा शुरू किया।
    निशा कहती है, वह पैकेज पर बाहर बहुत कम गई है। इस बार वह रायपुर के एजेंट के बुलावे पर आई थी। पूछताछ में इस खुलासे के बाद पुलिस भी हैरान है। अफसरों का कहना है कि आरोपी का खिलाड़ी होना अपनी जगह है लेकिन गैरकानूनी काम करने की अनुमति किसी को नहीं मिल सकती।

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  2. चेंजिंग रूम में कैमरे से बवाल
    नगर संवाददाता Sunday, August 02, 2009 09:11 [IST]

    रायपुर. चौबेकालोनी के इकलौते एमआरआई सेंटर में सोमवार सुबह उस वक्त हंगामा खड़ा हो गया, जब जांच के लिए आई महिला की कपड़े बदलते हुए खुफिया कैमरे से तस्वीर लेने की कोशिश की गई। इसका पता चलते ही भीड़ ने सेंटर पर धावा बोल दिया। वहां जमकर हंगामा हुआ। तोड़फोड़ कर लोगों ने संचालक की गिरफ्तारी की मांग की। बाद में पुलिस ने वार्ड ब्वाय को हिरासत में ले लिया।




    सिटी एसपी शशिमोहन सिंह ने बताया कि आरोपी गंज थाना कालोनी निवासी महेंद्र चंदेल (25) है, जो एमआरआई सेंटर में वार्ड बाय की नौकरी करता है। सुबह 8 बजे सेंटर में एक महिला जांच के लिए पहुंची। उसे एमआरआई कक्ष में बुलाया गया। वहां उसे कपड़े बदलकर आने को कहा गया। महिला चेंजिंग रूम में घुसी और उसने जैसे ही अपने कपड़े बदलने शुरू किए, उसकी नजर सीलिंग पर पड़ी। वहां उसे कुछ कैमरे जैसी चीज लगी। सीलिंग थर्माकोल का बना था।




    उसने जैसे ही उसे टटोला, मोबाइल निकल आया। महिला ने बाहर खड़े अपने पति को इसकी जानकारी दी। पति ने जब आकर मोबाइल देखा तो वह हैरान रह गए। मोबाइल में महिला की शुरुआती क्लिपिंग रिकार्ड हो चुकी थी। उसके बाद पति ने वहां जमकर बवाल खड़ा कर दिया। वार्ड बाय को वहीं तमाचे जड़ दिए। इसके बाद उसके रिश्तेदार और परिवार वाले पहुंच गए। घंटेभर के भीतर आसपास हल्ला हो गया। कांग्रेसी नेता और शिवसैनिकों को इसका पता चला तो वे भी दल-बल समेत वहां पहुंच गए।




    गुस्साई भीड़ ने वहां जमकर प्रदर्शन किया। उन्होंने वहां गमले, बोर्ड और बैनर वगैरह तोड़ डाले। हंगामे की सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। सिटी एसपी, सीएसपी आईएच खान और सरस्वतीनगर थाना प्रभारी एआर खान भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने मोबाइल जब्त कर आरोपी वार्ड बाय को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने बताया कि आरोपी के खिलाफ महिलाओं का अशिष्ट रूपण प्रतिशोध अधिनियम की धारा 4 (6) के तहत कार्रवाई की गई है। इसके अलावा उसके खिलाफ धारा 509 व 151 के तहत भी कार्रवाई कर कोर्ट में पेश किया गया। न्यायालय से उसे बाद में जेल भेज दिया।




    विरोध करने वालों को जेल




    एमआरआई सेंटर में हंगामा करने वाले लोगों के खिलाफ भी पुलिस ने अलग-अलग धाराओं के तहत कार्रवाई की है। भीड़ में युवक कांग्रेसी और शिवसेना के नेता व पदाधिकारी शामिल थे। गुस्से में उन्होंने सेंटर में गमले तोड़े और बैनर-पोस्टर फाड़े थे। इसके अलावा विरोध के दौरान गालीगलौज करने पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। 12 युवक कांग्रेसियों के खिलाफ धारा 151 के तहत जुर्म दर्ज किया गया है।




    इनमें सौरभ निर्वाणी, नितिन भांसाली, संजय दास, सागर पांडे, मुकेश सोनी, सोनू, यश चौहान, राजेंद्र कुमार, युद्धवीर सिंह, मनोज कुमार, तेज प्रकाश व अनिल शामिल हैं। जबकि शाम को आधा दर्जन शिवसैनिकों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई। शिवसैनिकों में संतोष शुक्ला, रेशम जांगड़े व अन्य के खिलाफ 294, 427, 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है। युवक कांग्रेसी नेता नितिन भंसाली ने कहा कि मोबाइल क्लिपिंग की घिनौनी घटना के खिलाफ हमने आवाज उठाई और हमें जेल में बंद कर दिया गया। यह गलत है, हम इस मामले में आंदोलन करेंगे।




    .. और कितनी क्लिपिंग?




    महिला चेंजिंग रूम में जिस वार्ड ब्वाय ने मोबाइल छिपाया था। उस मोबाइल में कुछ और क्लिपिंग और अश्लील मेसैज थे। पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी है। आरोपी महेंद्र इस सेंटर में पिछले पांच सालों से कार्यरत है। पूछताछ में उसके खिलाफ किसी अन्य शिकायतों का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि उसने इससे पहले भी ढेर सारे क्लिपिंग लिए होंगे। इसकी सीडी मेकिंग को लेकर भी पुलिस तहकीकात में लगी है।




    क्लिपिंग, कहीं धंधा तो नहीं?




    किसी अस्पताल या डायग्नोस्टिक सेंटर के चेंजिंग रूम में क्लिपिंग का यह पहला मामला है। इससे पहले इस तरह डाक्टरी पेशे से जुड़े एमआरआई सेंटर में मरीजों के साथ धोखा नहीं किया गया। इस घटना से लोग हतप्रभ हैं। जाहिर है, चिकित्सा संस्थानों में भी लोगों को सतर्क रहना पड़ेगा। सिटी एसपी शशिमोहन सिंह ने कहा कि यह गंभीर मामला है। इस मामले में और गहराई तक जांच करनी होगी। संदेह होने पर शहर के ऐसे तमाम होटलों और नर्सिग होम के कमरे और बाथरूम में पुलिस छापे भी मारेगी।

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